दोस्तों एफ आई आर यानि (First Information Report) जिसके बारे मैं हर कोई जानता है और आज कल तो ये शब्द बहुत ज्यादा सुनने को मिलता है दरअसल जब भी कोई घटना हो जाती है तो सबसे पहले अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन को जानकारी दी जाती है पुलिस वहाँ एक रिपोर्ट तैयार करती है जिसमें घटना कि पूरी जानकारी होती है इसे ही FIR (First Information Report) कहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश कि पहली FIR (First Information Report) कब दर्ज हुई थी अगर नहीं तो आइए जानें देश की पहली FIR के बारे में - Know about the indian first FIR

जानें देश की पहली FIR के बारे में - Know about the indian first FIR


जानें देश की पहली FIR के बारे में - Know about the indian first FIR

दरअसल अंग्रेजों ने ही IPC यानी इंडियन पीनल कोड (Indian Penal Code) यानी भारतीय आचार संहिता को तैयार किया था. तब उसे ताज-ए-रात-ए-हिंद कहा जाता था देश में कानून की शुरुआत 1861 में हुई थी दरअसल  सन् 1765 में जब अंग्रेजों ने बंगाल की दीवानी हथिया ली तब जनता का दायित्व उनपर आया वारेन हेस्टिंग्ज़ ने सन् 1781 तक फौजदारों और ग्रामीण पुलिस की सहायता से पुलिस शासन की रूपरेखा बनाने के प्रयोग किए और अंत में उन्हें सफल पाया लार्ड कार्नवालिस का यह विश्वास था कि अपराधियों की रोकथाम के निमित्त एक वेतन भोगी एवं स्थायी पुलिस दल की स्थापना आवश्यक है इसके निमित्त जनपदीय मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया गया कि प्रत्येक जनपद को अनेक पुलिसक्षेत्रों में विभक्त किया जाए और प्रत्येक पुलिसक्षेत्र दारोगा नामक अधिकारी के निरीक्षण में सौंपा जाय इस प्रकार दारोगा का उद्भव हुआ।बाद में ग्रामीण चौकीदारों को भी दारोगा के अधिकार में दे दिया गया

देश कि पहली FIR

देश में पहली एफआईआर राजधानी दिल्ली में दर्ज हुई थी. तारीख़ थी 18 अक्टूबर 1861. ये रिपोर्ट उर्दू में लिखी हुई थी. मामला चोरी का था इस रिपोर्ट को दर्ज करने वाले का नाम मयुद्दीन (Maeeuddin) था वे दिल्ली के कटरा शीशमहल के निवासी थे उन्होंने दिल्ली के सब्जी मंडी थाने में FIR दर्ज करवाई थी इस रिपोर्ट कि कॉपी को आप जीटीबी नगर के किंग्सवे कैंप रोड पर बने पुलिस म्यूजियम में देख सकते हैं 
जानें देश की पहली FIR के बारे में - Know about the indian first FIR
इस एफआईआर के साथ दिल्ली पुलिस ने चोरी हुए सामान का भी जिक्र किया है पुलिस के मुताबिक इस पहली एफआईआर में हुक्का खाना बनाने वाले बर्तन औरतों के कपड़े चोरी हुए थे चोरी हुए कुल सामान की कीमत 45 आने थी यानी करीब 2 रुपये 70 पैसे थी 
परिवार के पुरुषों ने हुक्का और महिलाओं ने कपड़े चोरी होने पर गुस्सा जाहिर करते हुए पुलिस में शिकायत की थी

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