राष्ट्रीय युद्ध स्मारक या नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं तो आइये जानें नेशनल वॉर मेमोरियल के बारे में - Know about the National War Memorial

जानें नेशनल वॉर मेमोरियल के बारे में - Know about the National War Memorial

जानें नेशनल वॉर मेमोरियल के बारे में - Know about the National War Memorial


इंडिया गेट (India Gate) पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति 21 जनवरी 2022 से इंडिया गेट पर नहीं वल्कि नेशनल वॉर मेमोरियल में प्रज्वलित होगी इसका विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में किया गया है  
भारतीय सेना के अनुसार इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की लौ को एक समारोह के दौरान राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में मिलाया गया इस समारोह की अध्यक्षता एयर मार्शल बालभद्र राधा कृष्ण ने की उन्‍होंने दोनों लौ को मिलाया कुछ दिन पहले देश के अलग-अलग हिस्सों से आई स्वर्णिम विजय वर्ष की मशाल को भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल में मिलाया गया था 
इस अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था

नेशनल वॉर मेमोरियल - National War Memorial

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक या नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं नेशनल वॉर मेमोरियल का डिजाइन वीबी डिजाइन लैब चेन्नई के योगेश चंद्रहासन ने किया है। नेशनल वॉर मेमोरियल के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने इंटरनेशनल डिजाइन कॉम्पिटिशन आयोजित की थी, जिसमें वेब डिजाइन लैब को अप्रैल 2018 विजेता घोषित किया गया 
नेशनल वॉर मेमोरियल वर्ष 1947 में आजादी के बाद से अब तक देश के लिए वीरगति प्राप्त करने वाले 26,466 भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनाया गया। नेशनल वॉर मेमोरियल पर वर्ष 1947-48, वर्ष 1961 (गोवा), वर्ष 1962 (चीन), वर्ष 1965, वर्ष 1971, वर्ष 1987 (सियाचिन), वर्ष 1987-88 (श्रीलंका), वर्ष 1999 (कारगिल) और युद्ध रक्षक जैसे अन्य युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के नाम, आजादी के बाद शहीद हुए 13,300 भारतीय सैनिकों के नाम पत्थरों पर अंकित किए गए हैं
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